बाढ़ व सूखे से निपटने को सरकार तैयार

बाढ़ व सूखे से निपटने को सरकार तैयार

मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी उपायुक्तों को दिए निर्देश

Hisar Media Junction

चण्डीगढ़। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अधिकारियों को प्रदेश में जून एवं जुलाई महीने के दौरान पेयजल एवं बिजली के पर्याप्त प्रबन्ध करने के निर्देश देने के साथ-साथ बाढ़ एवं सूखे जैसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य के किसी भी हिस्से से पेयजल की कमी, बाढ़ और पानी खड़े होने से सम्बंधित कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए। मुख्यमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी उपायुक्तों के साथ प्रदेश में लू, सूखे एवं बाढ़ से निपटने के लिए की जा रही तैयारियों की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने ऐसे गांवों और शहरों की पहचान करने के निर्देश दिए जहां इन दो महीनों में पेयजल आपूर्ति की समस्या आ सकती है ताकि इससे निपटने के लिए पर्याप्त प्रबन्ध किए जा सकें। उन्होंने जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं सिंचाई और जल संसाधन विभागों को भी राज्य में ऐसे जलघरों की पहचान करने के निर्देश दिए जो खाली हैं या जिनमें पानी कम है ताकि उन्हें पानी से भरा जाना सुनिश्चित किया जा सके।


प्रदेश के 1636 में से 23 जलघर खाली
राज्य में कुल 1636 जलघर हैं, जिनमें से 1613 पूरी तरह से भरे हुए हैं और शेष 23 जलघरों को भरने का कार्य प्रगति पर है। बैठक में यह भी बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में इस वर्ष जनवरी माह में हुई बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक में 167 अल्पावधि परियोजनाओं को स्वीकृत किया गया था, जिनमें से 104 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और शेष परियोजनाएं 25 जून, 2019 तक पूरी हो जाएंगी। यह भी बताया गया कि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 560 क्यूसिक पानी की अतिरिक्त क्षमता जोड़ी गई है।

30 तक निकल जानी चाहिए 605 नहरों से गाद
मुख्यमंत्री ने राज्य की नहरों से गाद निकाले जाने के भी निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि राज्य में 825 नहरों में से 568 नहरें यमुना नदी की ओर तथा 257 नहरें घग्गर नदी की ओर हैं। केवल 605 नहरों में से गाद निकाले जाने की आवश्यकता है और यह कार्य प्रगति पर है, जिसे 30 जून तक पूरा कर लिया जाएगा। इस सम्बंध में सम्बंधित उपायुक्तों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।

 अरहर की पैदावार के लिए करवाएं पंजीकरण
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को यह अध्ययन करने और पता लगाने के भी निर्देश दिए कि धान के स्थान पर मक्का और अरहर दाल के साथ-साथ किसी अन्य फसल की पैदावार की जा सकती है ताकि पानी की बचत की जा सके। उन्होंने कहा कि पानी की अधिक खपत करने वाली फसलों के विविधिकरण के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। बैठक में यह भी बताया गया कि किसानों को धान के स्थान पर मक्का और अरहर दाल की पैदावार करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई ‘‘जल ही जीवन योजना’’ के तहत अब तक 10 हजार एकड़ से अधिक भूमि का पंजीकरण किया जा चुका है।

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