डार्क जोन गांव हसनपुर में खत्म हुई पेयजल व सिंचाई जल समस्या



डार्क जोन गांव हसनपुर में खत्म हुई पेयजल व सिंचाई जल समस्या


प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत पेयजल समस्या दूर करने का दावा 

मीडिया जंक्शन न्यूज 
महेन्द्रगढ़। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत शुरू किया गया एकीकृत जल प्रबंधन कार्यक्रम जिला महेन्द्रगढ़ के गांव हसनपुर में वरदान साबित हो रहा है। डार्क जोन घोषित हो चुके इस क्षेत्र में इस योजना से न केवल पेयजल की समस्या दूर हुई है, बल्कि खेती के लिए सिंचित क्षेत्र में भी बढ़ोतरी हुई है। गांव हसनपुर की जनसंख्या लगभग 1745 है और यहां 332 घर हैं। इस क्षेत्र में यह गांव एक ऐसा उदाहरण बन गया है जिसमें न केवल भूमिगत जलस्तर में सुधार हुआ है बल्कि एकीकृत जल प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) के माध्यम से ग्रामीणों को पीने के लिए मीठा पानी भी मिलने लगा है। इस कार्यक्रम के जरिए गांव हसनपुर में घटते भूजल स्तर में सुधार लाने तथा प्राकृतिक स्रोतों को संरक्षित करने की पहल की गई है। जब इस योजना को शुरू किया गया तब गांव में पानी की मुख्य समस्या थी। इस गांव में पहले जमीन का पानी खारा था और इसका स्तर बहुत नीचे पहुंच गया था । उस समय गांव में पेयजल सप्लाई के लिए जो ट्यूबवेल थे, उनमें से दो सूख गए थे और दो ट्यूबवेल में जो पानी था वो खारा होने की वजह से पीने योग्य नहीं था। पानी के खारेपन के कारण पशुपालन में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। पानी की समस्या के कारण यहां प्रत्येक घर में आरओ के पानी मंगवाया जाता था, जो ग्रामीणों को बहुत महंगा पड़ता था।आईडब्ल्यूएमपी इस गांव के लिए वरदान साबित हुआ। हसनपुर में पानी की समस्या के स्थाई समाधान के लिए वर्ष 2013-14 में नहर के पास पंचायती भूमि पर एक खराब पड़े ट्यूबवैल को जोहड़ के अंदर लेकर एक नए जोहड़ की खुदाई की गई। इस कार्य में लगभग 3.39 लाख रुपए की लागत आई। इस जोहड़ को नहर से भूमिगत पाईप लाइन से जोड़ दिया गया, जिस पर 31835 रुपए खर्च हुए। इसके बाद इस जोहड़ में नहर का पानी भरने लगा तथा बरसात का पानी भी इसमें इक_ा होने लगा। यह पानी रिसाव बहुत तेजी से इस टयूबवेल के माध्यम से जमीन के अंदर जाता रहा। इसके साथ पंचायती भूमि पर बरसात का जो पानी व्यर्थ फैल जाता था, उसको रोकने के लिए दो मार्जिनल बांध लगाए गए। इसके बाद यह पानी अब इन जोहड़ों में भी इक्कठा होने लगा। लगभग 2-3 सालों में भूमिगत जलस्तर बढ़ गया और पानी पीने योग्य मीठा हो गया। गांव में पेयजल सप्लाई के जो दो ट्यूबवेल थे, उनका पानी भी पीने योग्य हो गया। अब पानी संचयन से उनकी उस समस्या का स्थाई समाधान हो गया है और गांव के प्रत्येक घर को इसका लाभ मिल रहा है। इसके बाद ग्रामीणों की इच्छानुसार वर्ष 2015-16 में पंचायती जमीन पर एक और जोहड़ का निर्माण करवाया गया और उसे भी नहर से जोड़ दिया गया। इस कार्य पर 2 लाख 62 हजार रुपए की लागत आई। इन कार्यों से गांव हसनपुर में ही नहीं बल्कि इसके साथ लगते मारोली, धानोता, कोरियावास आदि गांवों में भी 50 से 60 ट्यूबवेलों में भूमिगत जल स्तर में व्यापक सुधार हुआ। पहले जहां ट्यूबवेल से 4-5 नोजल चलती थी, अब 10-15 नोजल चलने लगी हैं, जिससे गांव का सिंचित रकबा भी बढ़ गया है।

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